Unseen Passage for Class 9 Hindi Apathit Gadyansh Solved

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Class 9 Hindi Apathit Gadyansh Unseen Passage

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Apathit Gadyansh for Class 9
 

अपठित गद्यांश 

भारतेंदु के जीवन का उद्देश्य अपने देश की उन्नति के मार्ग को साफ-सुथरा और लंबा-चौड़ा बनाना था| उन्होंने इसके काँटों और कंकड़ों को दूर किया| उसके दोनों और सुंदर-सुंदर क्यारियां बनाकर उनमें मनोरम फल-फूलों के वृक्ष लगाए| इस प्रकार उसे सुरमय बना दिया कि भारतवासी उस पर आनंदपूर्वक चलकर अपनी उन्नति के इष्ट स्थान तक पहुंच सके| यद्यपि भारतेंदु जी अपने लगाए हुए वृक्षों को फल-फूलों से लदा न देख सके, फिर भी हमको यह कहने में किसी प्रकार का संकोच नहीं होगा कि वे जीवन के उद्देश्य में पूर्णतया सफल हुए| हिंदी भाषा और साहित्य में जो उन्नति आज दिखाई पड़ रही है उसके मूल कारण भारतेंदु जी है और उन्हें ही इस उन्नति के बीज को रोपित करने का श्रेय प्राप्त है|

 

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए- 

(क)  भारतेंदु के जीवन का उद्देश्य क्या था ?

(ख)  भारतेंदु ने अपने जीवन में क्या किया ?

(ग)  भारतेंदु जी को किसका श्रेय प्राप्त है ?

(घ)  मनोरम का अर्थ बताइए ?

(ड़)  प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए|

 

उपरोक्त गद्यांश के संभावित उत्तर-   

(क) भारतेंदु के जीवन का उद्देश्य अपने देश की उन्नति के मार्ग को साफ-सुथरा और लंबा-चौड़ा बनाना था| इस उद्देश्य के लिए उन्होंने इसके मार्ग की बाधाओं को दूर किया| उनका यह उद्देश्य हिंदी भाषा की उन्नति से सम्बद्ध था| 

(ख) भारतेंदु जी ने देश की उन्नति के मार्ग को देशवासियों के लिए सरल बनाने हेतु कांटे-कंकड़ हटाकर, मार्ग के दोनों ओर सुंदर क्यारियां बनाकर उनमें मनोरम फल-फूलों के वृक्ष लगाए| 

(ग) हिंदी भाषा और साहित्य में वर्तमान में दिख रही उन्नति के बीज बोने का श्रेय भारतेंदु जी को प्राप्त है| 

(घ) मन को रमाने वाला| 

(ड़) भारतेंदु जी के जीवन का लक्ष्य|

Discursive Passage Hindi for Class 9
 

 

अपठित काव्यांश 

है जन्म लेते जगह में एक ही|

एक ही पौधा उन्हें है पालता||

 

रात में उन पर चमकता चांद भी|

एक ही-सी चांदनी है डालता||

 

मेह उन पर है बरसता एक-सा|

एक-सी उन पर हवाएं है बही||

 

पर सदा ही यह दिखाता है हमें|

ढंग उनके एक-से होते नहीं||

 

छेदकर कांटा किसी की उंगलियां

फाड़ देता है किसी का वर वासन||

 

प्यार-डूबी तितलियों का पर कतर|

भौर का है बोध देता श्याम तन||

 

फूल लेकर तितलियों को गोद में|

भौर को अपना अनूठा रस पिला||

 

‘निज सुगंधो औ’ निराले रंग से|

है सदा देता कली जी की खिला||

 

है खटकता एक सब की आंख में|

दूसरा है सोहता सुर-शीश पर||

 

किस तरह कुल की बढ़ई काम दे|

जो किसी में हो बड़प्पन की कसर||

 

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए | 

(क) ‘हे जन्म लेते जगह..... ढंग उनके एक से होते नहीं’ पंक्तियों में कवि ने फूल और कांटे के विषय में क्या कहा है?

(ख) एक ही वातावरण में पले-बढ़े फूल और कांटे का जीवन किस प्रकार भिन्न होता है पद्यांश के अंतिम पद के आधार पर स्पष्ट कीजिये|

(ग) इस कविता में फूल और कांटे किसका प्रतीक है|

(घ) ‘आंख में खटकना’ मुहावरे का अर्थ स्पष्ट कीजिए|

(ड) कौन व्यक्ति अपने कुल का नाम रोशन नहीं कर पाता ?

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:- 

(क) कवी कहता है कि फूल और कांटा एक साथ एक ही डाली पर जन्म लेते हैं तथा एक ही पौधा उनका लालन-पालन करता है| इसके अलावा चंद्रमा भी उन दोनों पर समान रूप से अपनी चांदनी डालता है| दोनों पर समान वर्षा होती है और दोनों एक जैसी वायु की गोद में झूलते हैं इसके बावजूद दोनों के ढंग एक जैसे नहीं होते| 

(ख) भले ही फूल और कांटे समान वातावरण में बड़े होते हैं फिर भी उनकी प्रकृति भिन्न होती है| कांटा यदि किसी की उंगली में लग जाता है तो उंगली फाड़ देता है और कपड़ों में लग जाए तो कपड़ा फाड़ देता है| इसके अलावा प्यारी-प्यारी तितलियों के पर काट देता है तथा भौरो के शरीर को बेध देता है| दूसरी और फूल उन्हीं तितलियों को अपने अंक में स्थान देता है और भंवरो को अपने रस का पान कराता है| 

(ग) भले और बुरे लोगों के प्रतीक हैं| 

(घ) मुहावरे का अर्थ है- बुरा लगना| 

(ड) जिसमें बड़प्पन नहीं होता वह अपने कुल का नाम रोशन नहीं कर पाता|

Apathit Gadyansh with multiple choice questions for Class 9
 

 

अपठित काव्यांश 

मन मेरा यह चाहे छू लूं

बढ़कर मैं आकाश|

राह में लंबी जीवन छोटा

समय न मेरे पास|

 

फिर भी मुझको इच्छा बल से

बढ़ना है-चढ़ना है|

रास्ता चाहे कैसा भी हो

मुझको तय करना है|

दृढ़ विश्वास जो मेरा साथी

क्यों न करूं प्रयास|

 

मन मेरा यह चाहे छू लूं

बढ़कर मैं आकाश|

 

राह है लंबी जीवन छोटा

समय ना मेरे पास|

जीवन के इस इक-इक पल को

मुझको यहाँ भुनाना|

 

सुख चंदा-सा, दुख सूरज सा

सबको गले लगाना|

दिल में आशा किरण जगी फिर

तम की क्या औकात|

मन मेरा यह चाहे छू लूं

बढ़कर मैं आकाश|

 

राह है लंबी जीवन छोटा

समय ना मेरे पास|

 

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए | 

(क) कवि का मन क्या चाहता है? पहले पद के आधार पर उत्तर दीजिए|

(ख) अंतिम पद में कवि ने क्या कहा है, स्पष्ट कीजिए|

(ग) ‘राह है लंबी, जीवन छोटा, समय ना मेरे पास’ पंक्ति का क्या आशय है?

(घ) जीवन के इक-इक पल को भुनाने से कवि क्या तात्पर्य है?

(ड) ‘सुख चंदा सा’ पंक्ति में कौनसा अलंकार है?

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:- 

(क) कवि का मन चाहता है कि वह उड़कर आकाश को छू ले| अर्थात वह असंभव से संभव कार्य कर ले, क्योंकि व्यक्ति का जीवन छोटा होता है, समय कम है, और राह लंबी है अर्थात कार्य बहुत करने को है| कभी कहता है कि यह सब होते हुए भी वह हर तरह की स्थिति में अपनी इच्छाशक्ति एवं दृढ़ विश्वास के बल पर आगे बढ़ सकता है| 

(ख) अंतिम पद में कभी कहता है उसे समय नष्ट नहीं करना है पल पल कार्य करते जाना है जीवन में सुख और दुख दोनों आएंगे पर मनुष्य को चाहिए कि वह दोनों को मन से स्वीकार करें| यदि व्यक्ति आशावादी है तो निराशा रूपी अंधकार उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता| 

(ग) जीवन में करने के लिए बहुत कुछ है और समय बहुत कम है| 

(घ) व्यक्ति को हर पल की कीमत पहचान भी चाहिए और बिना समय गंवाए अपना कर्तव्य पूरा करना चाहिए| 

(ड) उपमा अलंकार

Apathit Gadyansh for Class 9 with answers pdf
 

 

अपठित काव्यांश

सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी|

बूढ़े भारत में आई फिर से नई जवानी थी||

गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी|

दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी||

 

चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी|

बुंदेले हरबोलों को मुंह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी|| 

 

कानपुर के नाना की, मुंह बोली बहन छबीली थी|

लक्ष्मीबाई नाम, पिता की यह संतान अकेली थी||

नाना के संग पढ़ती थी वह, नाना के संग खेली थी|

बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी||

 

वीर शिवाजी की गाथाएं उसको याद जवानी थी|

बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी||

 

लक्ष्मी थी या दुर्गा थी, वह स्वयं वीरता की अवतार|

देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारो के वार||

नकली युद्ध, व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार|

सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवाड़||

 

महाराष्ट्र कुल देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी|

बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी||

 

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए |

(क) भारत में अंग्रेजों के विरुद्ध किस तरह की चेतना जागृत हुई? पहले पद के आधार पर उत्तर दीजिए|

(ख) रानी लक्ष्मी बाई के बचपन का चित्रण किस रूप में किया गया है?

(ग) ‘चमक उठी सन सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी’ पंक्ति का क्या आशय है?

(घ) ‘महाराष्ट्र कुल देवी’ कौन थी?

(ड) मराठे क्या देखकर पुलकित होते थे?

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:- 

(क) अंग्रेजों के विरुद्ध भारतीय रजवाड़े खड़े हो गए और सबने अंग्रेजो को भारत से बाहर निकालने की मन में ठान ली थी| इस तरह से ऐसा लगता था मानो बूढ़े भारत में फिर से जवानी आ गई हो| सन 1857 में अंग्रेजों के विरुद्ध तलवारें चमक उठीं| 

(ख) लक्ष्मीबाई अपने पिता की अकेली संतान थी तथा कानपुर के नाना साहब की वह मुंह बोली बहन थी| बचपन में वह नाना के साथ ही पढ़ती थी और उन्हीं के साथ खेलती थी| उसी समय उसने सभी अस्त्र शस्त्र चलाना भी सीख लिया था| 

(ग) सन 1857 में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के विरुद्ध संग्राम छेड़ दिया था|   

(घ) मां भवानी महाराष्ट्र कुल देवी थी| 

(ड) रानी लक्ष्मीबाई के तलवारों के वार देखकर मराठे पुलकित होते थे|

Short Apathit Gadyansh Class 9 with questions and answers
 

 

अपठित काव्यांश 

चल पड़े जिधर दो डग मग में

चल पड़े कोटी और उसी ओर,

पड़ गई जिधर भी एक दृष्टि

गड़ गए कोटी दृग उसी ओर,

 

जिसके शिर पर निज धरा हाथ

उसके शिर-रक्षक कोटी हाथ,

जिस पर निज मस्तक झुका दिया

झुक गए उसी पर कोटि माथ;

 

हे कोटिचरण, हे कोटीबहु|

हे कोटीरूप, हे कोटीनाम|

तुम एकमूर्ति, प्रतिमूर्ति कोटी

हे कोटीमूर्ति, तुमको प्रणाम|

 

तुम बोल उठे, युग बोल उठा,

तुम मौन बने, युग मौन बना,

कुछ कर्म तुम्हारे संचित कर

युगकर्म जगा, युगधर्म तना;

 

युग-परिवर्तक, योग-संस्थापक,

युग-संचालक, हे युगाधारा|

युग-निर्माता, युग-मूर्ति| तुम्हें

युग-युग तक युग का नमस्कार|

 

तुम युग-युग की रूढिया तोड़

रचते रहते नित नई सृष्टि,

उठती नवजीवन की नीवे

ले नवचेतन की दिव्य-दृष्टि

 

हे युग-दृष्टा, हे युग-सृष्टा,

पढ़ते कैसा यह मोक्ष मंत्र?

इस राजतंत्र के खंडहर में

उगता अभिनव भारत स्वतंत्र|

 

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखये

(क) ‘चल पड़े जिधर दो डग मग में’ पंक्ति में कवि ने किनके दो डगो की बात की है|

(ख) प्रथम पद में कवि का क्या कहना चाहता है|

(ग) तीसरे पद में गांधीजी को कवि ने किन-किन नामों से सम्मानित किया है तथा क्यों|

(घ) अंतिम पद में कवि ने गांधी जी को क्या कहकर संबोधित किया जाता है ‘राजतंत्र के खंडहर

उगता अभिनव भारत स्वतंत्र’ का क्या तात्पर्य है ?

(ड) ‘युग-दृष्टा’ समस्त पद का विग्रह कीजिए तथा समास का नाम लिखिए|

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-

(क) प्रस्तुत पंक्ति में महात्मा गांधी के डगो की ओर संकेत किया गया है| 

(ख) कवी का कहना है कि गांधीजी का जनमानस पर इतना भारी प्रभाव था कि वे जिस दिशा में चलते थे करोड़ों लोग उनका अनुसरण करने लगते थे जिधर भी उनकी दृष्टि पड़ती थी उसी और करोड़ों लोग देखने लगते थे अर्थात लोग गांधीजी की हर बात से प्रभावित थे और वही करते थे जो गांधीजी कहते थे| 

(ग) कवि ने गांधीजी को ‘कोटिचरण’, कोटिरूप’, ‘कोटिनाम’ तथा ‘कोटिमूर्ति’ नामों से संबोधित किया है, क्योंकि गांधीजी स्वयं में भले ही एक थे पर उनके साथ करोड़ों देशवासियों की आस्था जुडी थी| 

(घ) गांधी जी को कवि ने ‘युग-दृष्टा’, ‘युग-दृष्टा’ संबोधन किए हैं|’ उनमे दूरदृष्टि थी| उन्होंने देख लिया था कि अंग्रेज शासन अब खंडहर हो चुका है और उसमें भारत से की स्वतंत्रता का सूर्य उगना चाहता है| 

(ड) विग्रह- युग के दृष्टा

समास- अधिकरण तत्पुरुष

 

Apathit Gadyansh for Class 9 with answers
 

अपठित गद्यांश

गांधीवाद में राजनीतिक और आध्यात्मिक तत्वों का समन्वय मिलता है| यही इस वाद की विशेषता है| आज संसार में जितने भी वाद प्रचलित है वह प्राय: राजनीति क्षेत्र में सीमित हो चुके हैं| आत्मा से उनका संबंध-विच्छेद होकर केवल बाह्य संसार तक उनका प्रसार रह गया है| मन की निर्मलता और ईश्वर-निष्ठा से आत्मा को शुद्ध करना गांधीवाद की प्रथम आवश्यकता है| ऐसा करने से नि:स्वार्थ बुद्धि का विकास होता है और मनुष्य सच्चे अर्थों में जन-सेवा के लिए तत्पर हो जाता है| गांधीवाद में सांप्रदायिकता के लिए कोई स्थान नहीं है| इसी समस्या को हल करने के लिए गांधीजी ने अपने जीवन का बलिदान दिया था|

 

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए

(क) गांधीवाद और अन्य प्रचलित वाद किस प्रकार अलग हैं ?

(ख) गांधीवाद की आवश्यकता किसे बताया गया है ?

(ग) गांधी जी को अपने जीवन का बलिदान क्यों देना पड़ा ?

(घ) ‘आध्यात्मिक’ शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय अलग कीजिए|

(ड़) प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए|

 

उपरोक्त गद्यांश के संभावित उत्तर-   

(क) गांधीवाद राजनीतिक और आध्यात्मिक तत्वों का समन्वय है, जबकि संसार में अन्य प्रचलित बाद प्राय: राजनीतिक क्षेत्र में सीमित हो चुके हैं| 

(ख) गांधीवाद की प्रमुख आवश्यकता मन की निर्मलता और ईश्वर में निष्ठा से आत्मा को शुद्ध करना है, क्योंकि यह नि:स्वार्थ बुद्धि का विकास कर मनुष्य को सच्चे अर्थों में जन-सेवा के लिए तत्पर करता है| 

(ग) गांधी जी के आदर्शों में सांप्रदायिकता के लिए कोई स्थान नहीं था और सांप्रदायिकता की समस्या को हल करने के लिए गांधी जी को अपने जीवन का बलिदान देना पड़ा| 

(घ) मूल शब्द- आध्यात्म, प्रत्यय इक 

(ड़) गांधीवाद और राजनीति

Apathit Gadyansh for Class 9 with questions and answers pdf
 

 

अपठित काव्यांश 

बाधाएं आती हैं आएं

घिरे प्रलय की घोर घटाएं,

पावों के नीचे अंगारे,

सिर पर बरसे यदि ज्वालाए,

निज हाथों में हंसते—हंसते,

आग लगाकर चलना होगा|

कदम मिलाकर चलना होगा|

 

हास्य-रुदन में, तूफानों में,

अगर असंख्यक बलिदानो में

उद्यानों में, विरानो में

अपमानो में, सम्मानो में

उन्नत मस्तक, उभरा सीना,

पीड़ाओं में पलना होगा|

कदम मिलाकर चलना होगा|

 

उजियारे में, अंधकार में,

कल कहार में, बीच धार में,

घोर घृणा में, पूत प्यार में,

क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,

जीवन के शत-शत आकर्षक,

अरमानो का ढलना होगा|

कदम मिलाकर चलना होगा|

 

सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,

प्रगति चिरंतन कैसा इत अब,

सुस्मित हर्षित कैसा श्रम लथ,

असफल, सफल सामान मनोरथ,

सब कुछ देकर कुछ न मांगने,

पावस बनकर ढालना होगा|

कदम मिलाकर चलना होगा||

 

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखये

(क) पहले पद में कवि क्या संदेश दे रहा है?

(ख) किन हालातों में हमें अपना मस्तक ऊंचा और सीना तानकर चलना चाहिए?

(ग) तीसरे पद में कवी किन कार्यों के लिए हमें प्रेरित कर रहा है?

(घ) कदम मिलाकर चलने से कवि का क्या तात्पर्य है?

(ड) प्रस्तुत पद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए|

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:- 

(क) कवी कह रहा है कि भले ही हमारे रास्ते में कितनी भी रुकावटे आए, प्रलय ही क्यों ना आ जाए तथा पैरों के नीचे अंगारे बिछे हो और सिर पर अग्नि की वर्षा हो रही हो| हमें राष्ट्रहित में हंसते-हंसते एक दूसरे के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ना होगा| 

(ख) कवी का कहना है कि चाहे खुशी हो या गम हो, चाहे भारी तूफान हो, चाहे सम्मानजनक स्थितियां हो गया अपमानजनक, हमें देशहित में अपना उन्नत मस्तक और उभरा हुआ सीना लेकर ही कष्टों का सामना करना होगा| 

(ग) कवी कह रहा है कि चाहे प्रकाश हो या अंधकार, हम चाहे किनारे पर हो या बीच धारा में हमसे लोग घृणा करते हो या स्नेह, हमें जीवन के समस्त आकर्षक अरमानों का त्याग कर कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ना होगा| 

(घ) देशवासियों को परस्पर मिल-जुलकर राष्ट्रहित में अपने कार्य करने होंगे| 

(ड) ‘कदम मिलाकर चलना होगा’|

Apathit Gadyansh for Class 9 with questions and answers

 

अपठित काव्यांश 

पंद्रह अगस्त का दिन कहता­ - आज़ादी अभी अधूरी है|

सपने सच होने बाकी है, राखी की शपथ ने पूरी है||

 

जिनकी लाशों पर पग धर कर आजादी भारत में आई|

वे अब तक है खानाबदोश गम की काली बादल छाई||

 

कलकत्ते के फुटपाथो पर जो आंधी-पाली सहते हैं|

उनसे पूछो, पंद्रह अगस्त के बारे में क्या कहते हैं||

 

हिंदू के नाते उनका दुख सुनते यदि तुम्हें याद आती|

तो सीमा के उस पार चलो सभ्यता जहां कुचली जाती||

 

इंसान जहां बेचा जाता, ईमान खरीदा जाता है|

इस्लाम सिसकियां भरता है, डालर मन में मुस्कुराता है||

 

भूखो को गोली नंगो को हथियार पिन्हाये जाते हैं|

सूखे कणठो से जेहादी नारे लगवाए जाते हैं||

 

लाहौर, कराची, ढाका पर मातम की है काली छाया|

पख्तूनो पर, गिलगित पर है गमगीन गुलामी की साया||

 

बस इसलिए तो कहता हूं आजादी अभी अधूरी है|

कैसे उल्लास मनाऊं मैं ? थोड़े दिन की मजबूरी है||

 

दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुनः अखंड बनाएंगे|

गिलगित से गारो पर्वत तक आजादी पर मनाएंगे||

 

उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से कमर कसे बलिदान करें|

जो पाया उसमें न जाए, जो खोया उसका ध्यान करें||

 

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखये

(क) कवि के अनुसार पंद्रह अगस्त का दिन क्या कहता है?

(ख) भारत को प्राप्त आजादी अभी तक दूरी क्यों है दूसरे तथा तीसरे पद के आधार पर उत्तर दीजिए|

(ग) आजादी के बाद पाकिस्तान में क्या स्थिति है?

(घ) प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?

(ड) प्रस्तुत कविता को उचित शीर्षक लिखिए|

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:-

(क) कवी का कहना है, कि जब भी 15 अगस्त का दिन आता है वह यह संकेत देता है कि हमें जो आजादी मिली थी वह अभी अधूरी है, क्योंकि हमारे लोगों ने जो सपने देखे थे वे अभी पूरे नहीं हुए हैं|

(ख) कवी का कहना है, कि आजादी के लिए इस देश के आम आदमी ने अपनी कुर्बानी थी आज भी खानाबदोश जीवन व्यतीत कर रहे हैं| जाकर देखो कि कोलकाता में लोग किस तरह सब बातों पर अपना जीवन यापन कर रहे हैं| 

(ग) भारत और पाकिस्तान दोनों को अंग्रेजों से आजादी मिली| भारत में अभी भी सही मायनो में आजादी नहीं आई| उधर सीमा पार पाकिस्तान में तो और बुरा हाल है| वहां इंसान तक बेचे| जाते हैं, भूखो को गोली मर दी जाती है और नंगो के हाथ में हथियार पकड़ा दिए जाते हैं| 

(घ) अंग्रेजों से हमने 15 अगस्त 1947 को भले ही आजादी प्राप्त कर ली पर सही मायनों में हमारी आजादी अधूरी ही है|

(ड) ‘आजादी अभी अधूरी है’

Apathit Gadyansh with questions and answers for Class 9

अपठित गद्यांश 

‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ एक योजना है जिसका अर्थ है कन्या शिशुओं को बचाना, उन्हें सुरक्षा प्रदान करना तथा उन्हें शिक्षित बनाना| यह योजना भारतीय सरकार द्वारा 22 जनवरी 2015 को कन्याओं के प्रति लोगों में जागरूकता उत्पन्न करने तथा महिलाओं के लिए कल्याण-कार्यक्रमों में सुधार करने के लिए शुरू की गई थी| यह अभियान विभिन्न गतिविधियों; जैसे- बड़ी रैलियों, दीवार पत्रिका लेखन, टीवी विज्ञापनों, और लघु एनीमेशन, वीडियो फिल्म, निबंध लेखन, वाद- विवाद प्रतियोगिता आदि के आयोजनों के माध्यम से प्रारंभ किया गया जिससे समाज के अधिक से अधिक लोगों को जागरुक बनाया जा सके| यह योजना पूरे देश में ‘कन्या शिशु बचाओ’ के संदर्भ में लोगों में जागरूकता पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका तो निभाएगी की ही साथ ही भारतीय समाज में लड़कियों के स्तर को ऊपर उठाने में भी मदद करेगी| भारत के प्रत्येक नागरिक को यह समझना चाहिए कि लड़का और लड़की में कोई अंतर नहीं है| वे जिस तरह का दृष्टिकोण अपने लड़कों के प्रति रखते हैं वैसा ही लड़कियों के प्रति भी रखें, आज ऐसा कोई कार्य नहीं है जिसे लड़कियां नहीं कर सकती अतः भारत सरकार को प्रत्येक नागरिक से अपेक्षा है कि वे ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना को सफल बनाने के लिए अपना सहयोग प्रदान करें|

 

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए

(क) ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ क्या योजना है ?

(ख) ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना’ कब तथा क्यों शुरू की गई ?

(ग) ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान’ किस रूप से प्रारंभ किया गया था ?

(घ) भारत के प्रत्येक नागरिक को क्या समझना चाहिए ?

(ड़) प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए|

 

उपरोक्त गद्यांश के संभावित उत्तर-   

(क) ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ एक योजना है जिसका अर्थ है कन्या शिशु को बचाना उन्हें सुरक्षा प्रदान करना तथा उन्हें शिक्षित बनाना|

(ख) यह योजना भारतीय सरकार द्वारा 22 जनवरी 2015 को कन्याओं के प्रति लोगों में जागरूकता उत्पन्न करने तथा महिलाओं के लिए कल्याण- कार्यक्रमों में सुधार करने के लिए शुरू की गई| 

(ग) यह अभियान विभिन्न गतिविधियों; जैसे- बड़ी रैलियों, दीवार पत्रिका लेखन, टीवी विज्ञापनो, होर्डिंग, लघु एनीमेशन, वीडियो फिल्म, निबंध लेखन, वाद-विवाद प्रतियोगिता आदि के आयोजनों के माध्यम से प्रारंभ किया गया जिससे समाज के अधिक से अधिक लोगों को जागरुक बनाया जा सके| 

(घ)  भारत के प्रत्येक नागरिक को यह समझना चाहिए कि लड़का और लड़की में कोई अंतर नहीं है| 

(ड़)  शीर्षक - बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान

Apathit Gadyansh for Class 9 pdf with answers

 

अपठित गद्यांश  

स्वच्छ भारत अभियान एक राष्ट्रव्यापी सफाई अभियान है जिसे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश को स्वच्छ बनाने की दृष्टि से प्रारंभ किया है| हमारा देश हर तरह से साफ-सुथरा हो, कहीं गंदगी न हो इसी कल्पना के साथ इस अभियान का श्रीगणेश किया गया है| भारत को एक स्वच्छ देश बनाना महात्मा गांधी का एक सपना था, वे चाहते थे कि देश में कहीं गंदगी न हो| उन्होंने अपने समय में लोगों को प्रेरित करके स्वच्छ भारत बनाने की कोशिश की थी किंतु लोगों द्वारा अधिक रुचि ने दिखाने के कारण उन्हें इस कार्य में सफलता नहीं मिल सकी| इसलिए इसे महात्मा गांधी की जयंती पर शुरू किया गया है| भारत सरकार यह टारगेट लेकर चल रही है कि इस अभियान को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तक पूरा कर लिया जाएगा| वस्तुतः भारत सरकार ही नहीं यह कार्य भारत के समस्त नागरिकों के लिए एक बड़ी चुनौती है| यह तभी संभव है जब भारत में रहने वाला हर व्यक्ति इस अभियान को सफल बनाने के लिए अपनी जिम्मेदारी समझे और अपना भरपूर सहयोग दें| इसके लिए हर व्यक्ति को अपनी मानसिकता बदलनी होगी|

 

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए- 

(क) स्वच्छ भारत अभियान क्या है तथा इसका प्रारंभ क्यों किया गया है ?

(ख) महात्मा गांधी का क्या सपना था तथा उन्हें इसे पूरा करने में सफलता क्यों नहीं मिली ?

(ग) स्वच्छता अभियान किस दिन शुरू किया गया है तथा क्यों ?

(घ) स्वच्छता अभियान को पूरा करने का क्या टारगेट रखा गया है ?

(ड़) प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए|

 

उपरोक्त गद्यांश के संभावित उत्तर-   

(क) स्वच्छ भारत अभियान एक राष्ट्रव्यापी सफाई अभियान है जिसे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश को स्वच्छ बनाने की दृष्टि से प्रारंभ किया है हमारा देश हर तरह से साफ-सुथरा हो, कहीं गंदगी न हो इसी कल्पना के साथ इस अभियान को शुरू किया गया है| 

(ख) भारत को एक स्वच्छ देश बनाना महात्मा गांधी का एक सपना था| वे चाहते थे कि देश में कहीं गंदगी न हो| उन्होंने अपने समय में लोगों को प्रेरित करके स्वच्छ भारत बनाने की कोशिश की थी किंतु लोगों द्वारा अधिक रुचि न दिखाने के कारण उन्हें इस कार्य में सफलता न मिल सकी| 

(ग) इसे महात्मा गांधी की जयंती पर शुरू किया गया है, क्योंकि भारत को स्वच्छ देश बनाना महात्मा गांधी का एक सपना था, वे चाहते थे कि देश में कहीं गंदगी न हो| 

(घ) भारत सरकार का यह टारगेट लेकर चल रही है कि इस अभियान को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तक पूरा कर लिया जायेगा| 

(ड़) शीर्षक - ‘भारत स्वच्छ अभियान’

Comprehension Passages Hindi for Class 9

अपठित गद्यांश 

संसार के विकसित देश; जैसे- जापान, अमेरिका, रूस तथा जर्मनी आदि समृद्धशाली कैसे बने हैं ? निश्चय ही, कठोर परिश्रम द्वारा| जिस राष्ट्र के लोग दृढ़ संकल्प तथा परिश्रमपूर्वक कर्म से लीन है, उनकी उन्नति तथा प्रगति अवश्यंभावी है| परिश्रमी व्यक्ति विश्वासपूर्वक मार्ग की बाधाओं को हटाता हुआ निरंतर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहता है| जो परिश्रम से जी चुराता है वह सदा दिन- हीन ही बना रहता है| संसार में जितने भी महापुरुष हुए हैं उनकी महानता के पीछे कठिन परिश्रम ही रहा है| चाहे न्यूटन और रमन जैसे वैज्ञानिक हो या शेक्सपीयर और टैगोर जैसे कवि; रॉकफेलर और बिरला जैसे व्यापारी हो या लिंकन और गांधी जैसे नेता; सभी ने अपने-अपने क्षेत्र में कठोर संघर्ष तथा अथक परिश्रम किया है|

 

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए- 

(क) कौन-सा राष्ट्र अवश्य प्रगति करता है|

(ख) परिश्रमी और आलसी व्यक्ति के बीच क्या अंतर होता है ?

(ग) संघर्ष एवं परिश्रम द्वारा किन लोगों ने सफलता प्राप्त की ?

(घ) ‘महापुरुष’ शब्द का समास-विग्रह कीजिए और भेद बताइए ?

(ड़) प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए|

 

उपरोक्त गद्यांश के संभावित उत्तर-   

(क) जिस देश के लोग दृढ़ संकल्प एवं परिश्रम के साथ अपने कार्य में लगे रहते हैं, वह राष्ट्र अवश्य ही प्रगति एवं उन्नति करता है| 

(ख) परिश्रमी व्यक्ति विश्वास के साथ मार्ग की बाधाओं को हटाता है| अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है तथा सफल होता है परंतु आलसी व्यक्ति काम से जी चुराता है, इसलिए असफल होकर दीन-हीन बना रहता है| 

(ग) न्यूटन एवं रमन जैसे वैज्ञानिकों ने, शेक्सपियर तथा टैगोर जैसे कवियों ने रॉकफेलर था बिरला जैसे व्यापारियों ने, लिंकन तथा गांधीजी जैसे नेताओं ने सफलता के लिए कठोर संघर्ष एवं परिश्रम किया| 

(घ) महान है जो पुरुष - तत्पुरुष समास 

(ड़) परिश्रम का महत्व

Solved Apathit Gadyanshs for Class 9

अपठित गद्यांश 

हमारी खराबी का स्त्रोत कहां है- इसका पता हमें लगाना चाहिए और वहीं से उसे ठीक करने का प्रयत्न करना चाहिए| स्त्रोत वही हो सकता है, जहां से हमारा जीवन प्रारंभ होता है और वह है हमारा घर| हमारे घर की इस समय बड़ी दुर्व्यवस्था है| अवश्य ही आप लोगों को अपने घर से असंतोष होगा| असंतोष इसी कारण हो सकता है कि अपने घर में कुछ दोष आप पाते हैं परंतु दोष की कुछ जिम्मेदारी आपके ऊपर भी तो है| ऐसी स्थिति में आपका कर्तव्य है कि आप इन दोषों को दूर करने का यत्न करें| सबके भावों का आदर करते हुए आपको ऐसा प्रयास करना होगा कि आपके कारण किसी दूसरे को कष्ट न हो| इससे घर की शांति और सौहार्द में वृद्धि होगी| आजकल की सबसे विचित्र बात यह है कि कोई अपने को दोष नहीं देता सब कोई दूसरे को दोष देते हैं| आज के संसार में आपकी बड़ी जिम्मेदारी है| आगे का भारत वैसा ही होगा जैसा आप लोग अपने जीवन में उसे बनाएंगे| यदि आप अपना काम ठीक तरह से करते हैं तो आप सब देशभक्त है और यदि अपने काम के प्रति उदासीन है तो आप वास्तव में देशद्रोही हैं|

 

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए

(क) खराबी स्त्रोत कहां है तथा इसे ठीक किया जा सकता है|

(ख) अपने घर से असंतोष को कैसे दूर किया जा सकता है ?

(ग) लेखक ने देशभक्त और देशद्रोही की पहचान किससे की है|

(घ) ‘देशभक्त’ सामासिक शब्द का विग्रह कीजिए तथा भेद भी लिखिए|

(ड़) ‘स्त्रोत’ तथा ‘सौहार्द’ शब्दों के अर्थ बताइए|

 

उपरोक्त गद्यांश के संभावित उत्तर-   

(क) स्त्रोत वही होता है; जहां से हमारा जीवन प्रारंभ होता है अर्थात हमारा घर ही खराबी का स्त्रोत है| जहां खराबी है, वहीं से इसे ठीक करने की कोशिश करनी चाहिए| 

(ख) हम अपने दोषों को दूर करने का प्रयास करके, सबकी भावनाओं का आदर करके तथा दूसरों को कष्ट देने का प्रयास करके घर से असंतोष को दूर किया जा सकता है| 

(ग) जो व्यक्ति अपना कार्य ठीक ढंग से करता है, वह देशभक्त है तथा अपने कार्य के प्रति उदासीन व्यक्ति देशद्रोही है| 

(घ) देश के लिए भक्त- तत्पुरुष समास|

 (ड़) साधन, सद्भाव

Case based Apathit Gadyansh for Class 9

 

अपठित गद्यांश 

गंगा का हमारे देश के लिए बहुत अधिक महत्व है| गंगा नदी भारत के तीन राज्यों में से होकर गुजरती है ये है- उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल| भारत के इस मध्य भाग को ‘गंगा का मैदान’ कहा जाता है यह प्रदेश अत्याधिक उपजाऊ संपन्न तथा हरा भरा है जिसका श्रेय गंगा को ही है इन राज्यों में कृषि उपज से संबंधित तथा कृषि पर आधारित अनेक उद्योग-धंधे भी फैले हुए हैं जिनसे लाखों लोगों की जीविका तो चलती ही है, राष्ट्रीय आय में भी वृद्धि होती है| पेयजल भी गंगा तथा उसकी नेहरो के माध्यम से ही प्राप्त होता है| यदि गंगा न होती तो हमारे देश का एक महत्वपूर्ण भाग बंजर तथा रेगिस्तान होता| इसलिए गंगा उत्तर भारत की सबसे पवित्र तथा महत्वपूर्ण नदी है गंगा नदी भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है| भारत के प्राचीन ग्रंथों; जैसे- वेद, पुराण, महाभारत आदि में गंगा की पवित्रता का वर्णन है| भारत के अनेक तीर्थ गंगा के किनारे पर स्थित हैं|

 

उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए

(क) भारत के किस भाग को गंगा का मैदान कहा जाता है|

(ख) गंगा का उन राज्यों के लिए क्या महत्व है, जिनसे होकर वह गुजरती है ?

(ग) गंगा भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग कैसे है ?

(घ) ‘उपजाऊ’ तथा ‘राष्ट्रीय’ शब्द में प्रत्यय बताइए|

(ड़) प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक बताइए|

 

उपरोक्त गद्यांश के संभावित उत्तर-   

(क) गंगा नदी भारत के तीन राज्यों- उत्तर प्रदेश, बिहार तथा बंगाल से होकर गुजरती है| भारत का यह मध्यम भाग गंगा का मैदान कहा जाता है| 

(ख) उत्तर प्रदेश, बिहार तथा बंगाल राज्यों की कृषि तथा अनेक उद्योग-धंधे गंगा नदी पर ही आधारित है| इनसे राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है| 

(ग) गंगा की पवित्रता का वर्णन हमारे प्राचीन ग्रंथों-वेद, पुराण, महाभारत आदि में भी है| गंगा के किनारे अनेक तीर्थ बसे हैं| इस प्रकार गंगा हमारी संस्कृति का अंग है| 

(घ)  उपजाऊ में प्रत्यय- आऊ,

 राष्ट्रीय में प्रत्यय-  ईय 

(ड़)  शीर्षक - गंगा का महत्व

Class 9 Solved Apathit Gadyansh

 

अपठित काव्यांश 

केवल कोरे कागज रंगना

कविता कैसे हो सकती है?

 

जहां कहीं खूंखार अंधेरा

सूरज वहां उगाना है

कौर छिन रहा जिनके मुंह से

उनको कौर दिलाना है

शंखनाद को सुन-सुन करके

जनता कैसे सो सकती है?

 

पल-पल बदल रही दुनिया की

धड़कन सुनना बहुत जरूरी

उग्रवाद बाजारवाद की

चालें गुनना बहुत जरूरी

बम-बारूद बिछी घर-आंगन

सुविधा कैसे हो सकती है?

 

कल-कल, कल-कल, गाते-गाते

पग-पग पल-पल, आगे बढ़ना

दूर-दूर पुलिनो का रहकर

योग साधना में रत रहना

युग-युग ने सौंपी सौगातें

सरिता कैसे खो सकती है|

 

छीज रही शब्दों की वीणा

फटे बांस की मुरली जैसी

जड़ जमीन से उखड़ी भाषा

पकी-अधपकी खिचड़ी जैसी

भानुमती का कुनबा हो तो

गीत गजल क्या हो सकती है?

 

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर लिखिए | 

(क) ‘केवल कोरे कागज रंगना कविता कैसे हो सकती है?’ पंक्ति से कवि का क्या आशय है तथा कवि का क्या कर्तव्य है? पहले पद के आधार पर स्पष्ट कीजिए|

(ख) किन स्थितियों के कारण गीत गजल नहीं हो सकते? अंतिम पद के आधार पर उत्तर दीजिए|

(ग) कवी का कर्तव्य क्या है?

(घ) कविता की कौन-सी पंक्ति बढ़ते हुए आतंकवाद की ओर संकेत कर रही है|

(ड) प्रस्तुत कविता का उपयुक्त शीर्षक लिखिए|

 

उपरोक्त प्रश्नो के संभावित उत्तर:- 

(क) जो कवी समाज में परिवर्तन लाने वाली कविताएं एवं गीत नहीं लिखता तो ऐसे कवियों का कविता कार्य मात्र कागज काले करने से अधिक कुछ नहीं है| कवि का कर्तव्य है कि जहां भी निराशा, अन्याय, अत्याचार का अंधेरा है उसे अपनी लेखनी रूपी सूर्य से हटाए| जो लोग दूसरों का शोषण कर रहे हैं, दूसरों का हक छीन रहे हैं उन्हें उनका हक दिलाए| उसका कार्य है कि वह अपनी कविता के शंखनाद से जनता को जागृत करें| 

(ख) आज के कवि ऐसी निरर्थक कविता का सृजन कर रहे हैं जिसके शब्द छीज चुके हैं| कवी के सुर फटे बांस की मुरली से निकलने वाले सुरों जैसे हो गए हैं| कवियों की भाषा शक्तिहीन हो चुकी है क्योंकि वह जड़-जमीन से कटी हुई है| उसकी भाषा अधपकी की खिचड़ी जैसी प्रभावहीन है| कवी यहां- वहाँ से चीजें उठाकर जो काव्य रचना कर रहे हैं वह भानुमति के कुनबे के समान है| 

(ग) कवी का कर्तव्य है अत्याचारों एवं शासकों से आम दुखी जन का हक वापस दिलाना| 

(घ) ‘बम बारूद विधि घर आंगन सुविधा कैसे हो सकती है|’ 

(ड) कवि का कर्तव्य

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